गरम हवा

गरम हवा जैसे जैसे नज़दीक आ रही थी, यूं लग रहा था जैसे जान सी जा रही थी, मैंने देखा थोड़ा सा और चलके वो जो टीन वाले घर थे, उनमें झांका ज़रा घबराके, वहां जिंदगी फिर भी मुस्कुरा रही थी, गर्मी से वहां मेरी आंखे तो जली जा रही थी , मगर खुशी जैसे […]

सड़क, मुड़े ना पीछे !

सड़क जिसे हम पकड़ते हैं ,किसी जगह को छोड़ते वक्त , वो सड़क हमेशा आगे ही क्यूँ जाती है ? पीछे नहीं मुड़ती ? मैंने ज़रा आगे चलकर देखा कि कहीं से यह वापिस तो आती होगी , कदम आगे को बड़ा दिये थे तो फिर आँखें अंधी हो गई , अंधापन जिसमे आगे तो […]